Sunday, October 14, 2007

हाले दिल !!!

हाले दिल !!!

जो हमने गज़ल अपनी सुनाई, आप हमसे क्यों नहीं बोले?
हमने तो अपना हाले दिल लिखा था, आप हमसे क्यों नहीं बोले?

हमने जो आपसे आपका हाले दिल पूछा, आप हमसे क्यों नहीं बोले?
काश आप कुछ हमको बताते, हम भी आप को अपना हाले दिल सुनाते

बहुत अश्क बहाये थे आपकी खातिर, अब ना बहायेंगे
क्या कुछ खता हुई है हमसे, आप हमसे क्यों नहीं बोले?

मन आपका उधर उदास है, आप हमसे क्यों नहीं बोले?
हम बहुत उदास है आपकी उदासी देखकर ये क्यों ना सोचा आपने?

यकीं नहीं होता है अब किसी पर भी हमें, तुम भी शामिल हो हर किसी में
यकीनन देखलेना हो जाओगे ओझल इक दिन तुम भी दुनियाँ की भीड़ में

ना अपना चैन खोयेगे अब हम किसी अपने या बेगाने की भी खातिर
बहुत हुआ अब ऐ दोस्त अब ये दास्ताँ हम आपको भी ना कभी सुनाऐंगे।

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