मोहब्बत -नफ़रत
-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*हमें तुमसे मोहब्बत करनी है , तुझे मुझसे नफ़रत ही सही !
गर, ये प्यार है इक-तरफ़ा , तो ये प्यार इक तरफ़ा ही सही !!
-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*मेरे मेहबूब ने पढें जब ये शेर, तो ये सवाल था उसका !
तेरे शेरों में क्युं है इतना दर्द क्या है राज़ इसका !!
-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*कोई ये पुछे उनसे के मौत का पैमाना क्या है !
जो हर बात पर अक्सर कह देते है, "अरे मर गये" !
-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*-*उठाकर मुसीबतें ज़िन्दगी की जी रहा आदमी क्युं है !
गर, बोझ है ज़िन्दगी तो ज़िन्दगी से मोहब्बत क्युं है !!
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अब तेरे शरमानें की हकीकत "फ़राज़" जानीं मैनें !
फ़रेब देना हो किसी को तो, बस्स मुस्कुराना चाहिये !